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गुजरात के अहमदाबाद शहर स्थित आयुर्भव नामक आयुर्वेदिक अस्पताल में लीवर की पुरानी और घातक बीमारियों में अच्छे परिणाम मिल रहे हैं |

यहाँ उनमें से एक लीवर की सिरोसिस नामक बीमारी में से उबरने की सफलता की कहानी साज़ा कर रहे है। 

गुजरात के राजकोट के पास कुवाड़वा गांव के रहने वाले – रसिकभाई काकड़िया।

रसिकभाई को शुरू में अपने पैरों में सूजन और जलोदर – पेट मे पानी के संचय होने की शिकायत थी । इसलिए वह निदान के लिए राजकोट के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में गए और वहाँ बताया गया कि उन्हें सिरोसिस ऑफ़ लिवर – जो कि लीवर की एक गंभीर बीमारी है। पानी / जलोदर द्रव को टेपिंग करने  के बावजूद थोड़े समय के भीतर पुनरावृत्ति की समस्या बनी रहती, और उस दौरान उसे हिमेटेमेसिस – रक्त की उल्टी भी एक से दो बार हुई। और इसलिए एंडोस्कोपी द्वारा वे हिमेटेमेसिस रक्त की उल्टी की संभावना को रोकने के लिए गले की नसों में बैंडिंग किया गया ।

इस तरह की यही समस्या बार-बार होने के कारण आखिरकार उन्हें लीवर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी गई।

रसिकभाई ने फिर से दूसरे डॉक्टर से सलाह मांगी। और वहां भी कई बार फिर से टैपिंग की गई। और इस प्रकार यह प्रक्रिया समय-समय पर चलती रही। 

एक बार रसिकभाई को एक रोगी के एक रिश्तेदार से मिलना हुआ, जो की आयुर्भव आयुर्वेद अस्पताल, अहमदाबाद से इसी तरह के लीवर की बीमारी से ठीक हो गया था । इसीलिए उन्हें भी अहमदाबाद के आयुर्भव आयुर्वेद अस्पताल में इलाज करवाने की सलाह दी गई।

रसिकभाई ने अहमदाबाद के आयुर्भव आयुर्वेद अस्पताल का दौरा किया। 

यहां डॉ. हेमांग सोनी ने रोगी की ठीक-ठीक जांच की और उन्हें इस बात की समझ दी कि आयुर्वेद इस उपचार में उनकी मदद कैसे कर सकता है, साथ ही उन्हें उपचार के दौरान एक निश्चित प्रकार की परहेज का पालन करने के लिए भी समझाया गया । आहार में उन्हें केवल दूध को भोजन के रूप में उपयोग करने के लिए कहा गया था। इसके अलावा उन्होंने और कुछ न लेने की सलाह दी गई। 

और रसिकभाई ने इस प्रकार आयुर्वेद उपचार शुरू किया। उन्होंने निर्धारित आयुर्वेदिक दवाओं और परहेज का पालन करना शुरू कर दिया। 

इलाज के पहले पखवाड़े में ही जो तीन-चार दिन में द्रव जमा हो जाता था और पन्द्रह दिनों में जलोदर के लिए टैपिंग करनी पड़ती थी, लेकिन अब एक महीने बाद भी इतनी मात्रा में जलोदर नहीं हुआ था। इस प्रकार उन्होंने एक महीने में एक महत्वपूर्ण सुधार देखा और इसलिए उन्होंने इस उपचार को जारी रखने का फैसला किया।

धीरे-धीरे इलाज से सुधार होने लगा। संचय की प्रक्रिया पहले की तुलना में बहुत धीमी थी। उन्हें पहले से ज्यादा भूख लगी थी और इसलिए थोड़े समय के बाद उन्हें अपने आहार में थोड़ा और आराम दिया गया। इलाज आगे बढ़ा, और जैसे-जैसे स्थिति में सुधार हुआ, उन्हें खाने की अनुमति दी गई। 

यह पूरा इलाज करीब दस महीने तक चला। आज रसिकभाई अपना काम खुद कर सकते हैं, खेती का कुछ काम भी करते हैं, मोटर साइकिल भी चला सकते हैं और पिछले कुछ समय से जलोदर की घटना पूरी तरह ठप हो गई है। पहेले और बाद की रिपोर्टोंस में महत्वपूर्ण सुधार दिखा है। 

रसिकभाई इस उपचार से अच्छे परिणाम का अनुभव कर रहे हैं, वे इस उपचार से पूरी तरह से संतुष्ट हैं और इसीलिए अब जब उन्हें लीवर के किसी भी मरीज के बारे में पता चलता है तो वे उन्हें आयुर्भव आयुर्वेद अस्पताल अहमदाबाद से आयुर्वेदिक उपचार लेने के लिए कहते हैं। 

इस लेख में पहले और बाद की तस्वीरें संलग्न हैं। 

यहां इलाज के बाद उनका एक विस्तृत इंटरव्यू वीडियो लिंक भी संलग्न है। 

अगर कोई रसिकभाई से बात करना चाहता है तो वह आयुर्भव आयुर्वेद अस्पताल से रसिकभाई का मोबाइल नंबर ले सकता है.

आयुर्वेद ऐसी गंभीर बीमारियों में बहुत अच्छे परिणाम दे रहा है।